दिवाली आज मनाएँगे- रामकिशोर पाठक

 

दादा जी फुलझड़ी चाहिए,
जगमग वाली लड़ी चाहिए,
हम भी दीप जलाएँगे,
दिवाली आज मनाएँगे।
देखो पटाखे फूट रहे हैं,
लगता तारे टूट रहे हैं,
रंगोली भी तो बनाएँगे,
दिवाली आज मनाएँगे।

मॉं लक्ष्मी की पूजा होगी,
विविध मिठाई भोग लगेगी,
जयकारा भी तो लगाएँगे,
दिवाली आज मनाएँगे।
देखो मुनिया चहक रही है,
नये कपड़े में थिरक रही है,
कपड़ा हम भी दिखलाएँगे,
दिवाली आज मनाएँगे।

अम्मा तो पकवान बनाकर,
खुश होती सबको खिलाकर,
हम भी पकवान अब खाएँगे ,
दिवाली आज मनाएँगे।
पापा से पैसा दिलवा दो,
कागज कुछ रंगीन मँगवा दो,
घरौंदा भी तो सजाएँगे,
दिवाली आज मनाएँगे।

दादा जी एक बात बताओ,
दिवाली की कथा सुनाओ,
महिमा राम की गाएँगे,
दिवाली आज मनाएँगे।
हर कोने में दीप जलाकर,
मन के गंदे भाव मिटाकर,
चहुँओर रौशनी फैलाएँगे,
दिवाली आज मनाएँगे। 

राम किशोर पाठक

प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश

पालीगंज, पटना

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