सजल
भुजंग प्रयात छंद
मात्रा — १५
समांत- आनी
पदांत – दिवाली
१२२ १२२ १२२ १२२
बिना दीप क्या है मनानी दिवाली ।
अँधेरा रहे दूर ठानी दिवाली ।।
बुराई न दिल की मिटाई कभी भी ।
न हो रोशनी व्यर्थ आनी दिवाली ।।
पड़ोसी तुम्हारा न खाया अभी तक ।
स्वयं खा लिये क्यों न जानी दिवाली ।।
छिपा बैर मन में रखा है हमेशा ।
तभी तो लगे जग हँसानी दिवाली ।।
बने राम के भक्त सब आज देखो ।
पिता रो रहा क्या सुहानी दिवाली ?
हँसाया न है शत्रुओं को यहाँ पर ।
अगर खुद हँसे है पुरानी दिवाली ।।
सुधीर कुमार , मध्य विद्यालय , शीशा गाछी
प्रखंड – टेढ़ागाछ , जिला – किशनगंज , बिहार
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