दीनानाथ भोलेनाथ
संत जन आठों याम,
रोज जपते हैं नाम,
सावन में मंदिरों में, होता जयकारा है।
चढ़ता है बेलपत्र,
गंगाजल शमी पत्र,
धतूरा कनैल भांग, शंकर को प्यारा है।
गले सोहे मुंड माल,
आसन है मृगछाल,
जटा बीच बह रही, गंगाजल धारा है।
महादेव भोलेनाथ,
कहलाते दीनानाथ,
शरणागत भक्तों को, पल में ही तारा है।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर (पटना)
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