दीपावली- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

मनहरण घनाक्षरी
******
जगमग दीप जले,
चाँद सा भवन खिले,
घर-घर लगी आज
हैं बल्बों की लड़ियां।

उमंग में जग सारा,
देख आसमान तारा,
खुशी से बच्चों के मन
छूटे फुलझड़ियां।

निपटा जरूरी काज,
घरों को सजाती आज,
हाथों में पहन कर
महिलाएं चूड़ियां।

तितली लजाती लाज,
मधुप मगन आज,
“रवि’ देख खिल गई
फूलों की पंखुड़ियां।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply