मनहरण घनाक्षरी छंद
देश के सपूत करें,
रोज दिन निगरानी,
भारत की सीमा पर, सेना की निगाह है।
दिन नहीं चैन मिले,
रात नहीं नींद आती,
देश की सुरक्षा हेतु, जिन्हें परवाह है।
बाहर के दुश्मनों से,
हमें सावधान करें,
हलचल देखते ही, करते आगाह हैं।
ऊँचा रहे भाल वहाँ,
जग-गण गूँझे जहाँ,
सजी रहे मातृभूमि, बस एक चाह है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर पटना
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