लेखक, शिक्षक, सेना,
कर्मचारी राजनेता,
चिकित्सक,वैज्ञानिक सभी कर्णधार हैं।
राष्ट्र निर्माण खातिर
जो भी करें योगदान,
काश्तकार मजदूर, बड़े शिल्पकार हैं।
तन -मन- जतन से
परिश्रम खूब करें,
छोटा-बड़ा नहीं होता, कोई रोजगार है।
अन्न उपजाने हेतु
पसीना बहाते रोज,
सादर नमन उन्हें, मेरा बार-बार है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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