दोस्ती का अर्थ – संजय कुमार

दोस्ती का अर्थ


बचपन में समझ न आया
दोस्ती का अर्थ क्या है ?
हम उनसे प्यार करते रहे
वे हमपर अहसान करते रहे
बात बात पर लड़ना झगड़ना
शिक्षकों से शिकायत करना
पर छुट्टी के बाद सभी का मिलकर
खोमचे वाले से एक का खरीदना
और सभी का मील बांट कर खाना
पॉकेट में पैसा एक के पास होना
लेकिन अधिकार सब का होना
समझ न थी इन अहसासों का तब
और समय रफ्ता रफ्ता गुजरता गया
तब बचपन में समझ न आया
दोस्ती का अर्थ क्या है?

स्कूली शिक्षा समाप्त हुआ
सभी एक दूसरे से बिछुड़ गए
कॉलेज की शिक्षा ग्रहण करने
माँ-पिताजी का सपना साकार करने
अलग-अलग शहरों में प्रवास कर गए
शिक्षा, मित्र व्यवहार सभी मिले नए-नए
पर वह अपनापन वह अहसास नहीं मिले

जो छोटे से विद्यालय में मिले
बचपन में समझ न आया
दोस्ती का अर्थ क्या है?

कॉलेज की शिक्षा समाप्त हुई
रोजगार की तलाश शुरू हुई
नई जगह,पद नए, चुनौती नई मिली
साहब का व्यवहार अलग
बाबू का व्यवहार अलग
अलग व्यवहार अर्दली का मिला
बचपन में समझ न आया
दोस्ती का अर्थ क्या है
उम्र जब पचपन में आया
दोस्ती का अर्थ समझ में आया

       Sanjay Kumar 

District Education Officer
Araria

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