राम नाम रटते रहो, लेकर मन विश्वास।
प्रभु तो दीनदयाल हैं, रखो दया की आस।।
राम नाम सुखधाम है, राम नाम अभिराम।
धर्म मार्ग चलते रहो, लेकर प्रभु का नाम।।
मर्यादित हों आचरण, कुशल क्षेम व्यवहार।
कर्म नित्य हो राम-सा, अंतस् उच्च विचार।।
राम नाम के जाप से, मिलती मन को शांति।
नाम मंत्र में शक्ति है, पा बढ़ती यश कांति ।।
धीर धर्म के राम हैं, महिमा अपरंपार।
मूल मंत्र तो है यही, यही सौम्य सुखसार।।
राम नाम जपते रहो, यह जीवन का सार।
सुखद सौम्य नव रस मिले, पावन करे विचार।।
भव्य दिव्य अनुपम अमित, रामालय छविधाम।
जहाँ विराजे राम हैं, वहीं धरा अभिराम।।
प्राण-प्रतिष्ठा राम की, भव्य अयोध्या धाम।
गाकर मंगलगान को, करिए मन अभिराम।।
घर-घर हर्षोल्लास है, मनहर मंगलगान।
गीत बधाई बज रहे, श्रीपति के सम्मान।।
सरयू पावन तीर पर, पुरी अयोध्या धाम।
फलित हुई है साधना, अब रघुवर के नाम।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार