पावन कार्तिक मास में, करें छठी का ध्यान।
गुणवंती करुणामयी, महिमा बड़ी महान।।
जग की आत्मा सूर्य को, करें नित्य प्रणिपात।
जीवन प्राणाधार हैं, अंशुमान अवदात।।
रवि उपासना पर्व है, करिए मन अभिराम।
सरिता पावन नीर से, अर्घ्य दीजिए शाम।।
उदित अस्त है सूर्य की, सुखदा सुंदर सृष्टि।
महिमा अपरंपार है, रखिए शुभमय दृष्टि।।
तजकर कलुष विचार मन, जोड़ें दोनों हाथ।
दया करें माई छठी, चरणों में है माथ।।
ऊर्जा सूरज की अमिट, करें सुबह हम पान।
व्रत उपासना सूर्य की, करती रोग निदान।।
मन को निर्मल कर सदा, करिए विमल विचार।
भक्ति समर्पण भाव से, खुशियाँ मिलें अपार।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
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