विधा: दोहा
रचनाकार: देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
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नित्य सुबह जगकर करें, हम ईश्वर का ध्यान।
जिनकी महिमा है अमित, करुणा कृपा-निधान ।।
नये वर्ष में क्या नया, करिए नित्य विचार।
महक उठे सत्कर्म से, पुलकित प्रेम-बहार।।
रखें सोच ऊँची सदा, करिए कर्म महान।
देश नित्य आगे बढ़े, पूरें हों अरमान।।
विदा अलविदा भाव को, करिए मन से त्याग।
प्रतिदिन निश्छल कर्म से, भरिए स्नेहिल बाग।।
मात-पिता गुरुदेव का, करिए नित सम्मान।
तीनों के आशीष से, जीवन बने महान।।
निज संस्कृति को भूलकर, कहते हो नव वर्ष।
इसको अपनाएँ सदा, तभी बढ़ेगा हर्ष।।
हृदय-भाव की कामना, होती तब साकार।
सरल सहज जब शब्द नित, करता शुद्ध विचार।।
राग-द्वेष को भूलकर, भरिए नित अनुराग।
सौम्य भाव इसमें छुपा, करता मन को बाग।।
वर्ष अलविदा मत कहें, लाएँ नेक विचार।
कष्ट दीन का दूर कर, पाएँ प्रभु का प्यार।।
मानव होकर हम करें, मानवता से प्रेम।
यही भाव जब मन बसे, रहे कुशल सँग क्षेम।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर