दोहा- मनु रमण चेतना

Manu Raman Chetna

जब कोई तकलीफ़ हो, बिगड़े सारे काम।
दुखी न होना चाहिए, भजिए केवल राम।।

मोह दुखों का मूल है, तजिये सकल विकार।
मंत्र-जाप दिन रैन कर,करिये भवनिधि पार।

साहब हीं बस साँच है ,झूठा है संसार
सत्संगति कर हे सखी, पहन शील का हार।।

भक्ति राह सबको सखी, ले जाए प्रभु ओर।
अंधकार उर का मिटे, हो जाए फिर भोर।।

स्वरचित एवं मौलिक:-
मनु रमण चेतना,
पूर्णियां ,बिहार

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