भोली-सी आँखों में, सपनों का जहाँ है,
निःस्वार्थ हंसी में, प्रेम अनंत यहाँ है।
आशा के दीपक से, रौशन हैं राहें,
बाल मन के रंग में, उजली हैं चाहें।
ज्ञान की गंगा में, नहाए जो मन,
उन्नति की राहें, सजाए वह धन।
शिक्षा की माला हो, वह गूंँथे सुमन,
हर बालक बने अब,बुद्धि का गगन।
संस्कार संग चलें, हों स्वाभिमानी,
कर्मठ बनें सब, मन करे न मनमानी।
सपनों को सच करने,सदा आगे बढ़ें,
नवयुग का सूरज, संग अपने गढ़ें।
मेहनत से चमकेगा, किस्मत का तारा,
बच्चों के मन में हो, दृढ़ विश्वास प्यारा।
हर बाल हृदय में, दीपक जलाएँ,
सच्चाई की राहें, सबको बताएँ।
आओ मिलाएँ हम, सपनों के साथ,
ज्ञान-साधना फले,ले हाथों में हाथ।
नव पीढ़ी गढ़े अब, भविष्य महान,
सजाए सँवारे,अपना यह हिंदुस्तान।
सुरेश कुमार गौरव
‘प्रधानाध्यापक’
उ. म. वि. रसलपुर,फतुहा, पटना (बिहार)
