नन्हे बच्चे मन के सच्चे
लगते हैं वे कितने अच्छे
है तोतली उनकी वाणी
सदा ही करते हैं मनमानी।
बातें करते हरदम कच्चे
नन्हे बच्चे मन के सच्चे
लगते हैं वे कितने अच्छे
आलस को हमेशा त्यागे।
दिन-भर खेल उधम मचाते
डाँट-डपट से नहीं घबराते
अपने धुन के बड़े ही पक्के
नन्हे बच्चे मन के सच्चे।
लगते हैं वे कितने अच्छे
हरदम हँसते कभी न लड़ते
आपस में मिलजुल कर रहते
हैं काम हमेशा अच्छे करते।
नटखट और निराले बच्चे
नन्हे बच्चे मन के सच्चे
लगते है वे कितने अच्छे।
प्रियंका कुमारी (पाण्डेय)
उ. म. वि बुढ़ी, कुचायकोट
गोपालगंज
0 Likes