आनंद के सागर में,
डुबकी लगाते रहें,
दुनिया की हर खुशी, मिले नए साल में।
नित्य नए पकवान,
मिले भोजन मिष्ठान,
हो पापड़ तिलौड़ी घी, रोज भात दाल में।
अन्न-धन, मान मिले,
बल बुद्धि ज्ञान मिले,
सभी से सम्मान पाएं, आप हर हाल में।
खुशियाँ अपार मिले,
जीवन में बहार मिले,
दोनों हाथों से सजाएं, मोतियों को थाल में।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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