नशा मिटाएँ- योग छंद
हालत अपनी हरपल, हमें बताएँ।
आदत कोई भी हो, नहीं लगाएँ।।
हो चाहे कैसी भी, उसे छुड़ाएँ।
मिलकर हम-सब अब तो, नशा मिटाएँ।।
दुर्गंधों से हरपल, घ्राण बचाएँ।
आओ मिलकर दुख को, दूर भगाएँ।।
भटक गये लोगों को, राह दिखाएँ।
टूट रहे रिश्तों को, हृदय लगाएँ।।
नशा मुक्ति को अपना, हाथ बढ़ाएँ।
क्योंकर सभी नशा में, समय गवाएँ।।
छोड़ इसे जीवन को, स्वर्ग बनाएँ।।
शुद्ध हवा पानी हीं, प्राण बचाएँ।
मानसिक विकार यह, नाश कराएँ।
क्षणिक उल्लास दे, शांति मिटाएँ।।
आओ नशा त्यागें, समझ बनाएँ।
स्वस्थ रखें तन अपना, ज्ञान बढ़ाएँ।।
दृढ करिए इच्छाएँ, मान कमाएँ।
मान प्रतिष्ठा अपनी, दांव लगाएँ।।
नशा त्याग कर देखें, सिर न झुकाएँ।
सुन पाठक की बातें, ज्ञान बढ़ाएँ।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
