विद्या:-मनहरण घनाक्षरी🌹
शीत का शीलन घटे,
ऊर्जा का प्रवाह बढ़े,
खेत-खलिहान सजे,सुखद किसान हो।
गेहूं की बालियां झुमे,
खर-पतवार दिखे,
हसुआ लेकर काटे,यही परवान हो।
समीर बदला रूप,
उष्णता शीतल संग,
है आहट फाल्गुन की,उमंगें आसान हो।
रंग भरा आसमान,
जीव खुशहाल रहे,
बदरंग छाया नहीं,नहीं परेशान हों।
एस.के.पूनम(स.शि.)फुलवारी शरीफ,पटना।
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