अंधकार कारावास,
अनहोनी का आभास,
तड़ित चमके नभ,नारायण करें काज।
धरा ललायित सदा,
प्रभु चरण चूम लूँ,
समय के प्रवाह में,शीशु पग पड़े आज।
ईश्वर की लीला देख,
यमुना उफान पर,
मार रहे थे हिलोर,जैसे बज रहे साज।
देवकी को छोड़ कर,
यशोदा के आँचल में,
नींद टूटी सुनकर,किलकारी की आवाज।
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बाल रूप मनोहारी,
दुनिया देखी है सारी,
नयन रसीले दोनों,सम्मोहन का है राज।
मुकूट शोभित भाल,
वंशी धरे होठों पर,
हृदय में प्रीत भर,राधा बनी हमराज।
मंद मंद मुस्कुराता,
देख रहा था संसार
किया वध असुरों का,वृंदावन किया नाज।
कंस करे अत्याचार,
प्रजा करे त्राहिमाम,
कृष्ण से शत्रुता भाव,नष्ट होवे साम्राज्य।
एस.के.पूनम ।
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