अस्सी की अवस्था जब होने को आई
बुद्ध ने संघ में निर्वाण की इच्छा जताई
सुनते हीं संघ के बौद्ध भिक्षु
बिलख- बिलख कर रो पड़े।
शाल पेड़ की ओट लिए रोते प्रिय शिष्य आनंद की ओर बुद्ध चल पड़े
करुणा, ध्यान, निर्वाण का पाठ पुनः आनंद को बता पड़े।
जीवन- मृत्यु व शास्वत-सत्य संघ समक्ष समझाया
धम्म उपदेशों को, अष्टांगिक मार्ग- पुनः बौद्ध भिक्षु समक्ष बतलाया।
प्रिय शिष्य आनंद से समस्त महाजनपदों में महापरिनिर्वाण का संदेशा भिजवाया।
संदेशा पाते ही प्रथमतः वैशाली
के जन- जन व्याकुल हो उठे
वैशाली के प्रजा- जन भगवान बुद्ध के पीछे ऐसे दौड़ पड़े ।
मानो जैसे त्रेता युग में
राम- वनवास – गमन की खबर पाते प्रजाजन पीछे दौड़ रहे।
अदभुत चित्र कुछ उभर रहा
लगता ही नहीं कलयुग का दृश्य चल रहा ।
बुद्ध ने वैशाली की जनता को अपने पीछे आते देख केसरिया में अपना अंतिम उपदेश सुनाया
वहीं, प्रजाजन को सांसारिक दुखो से मुक्ति पाने का पुनः अष्टांगिक मार्ग का महत्त्व समझाया
दिया मोह का उदाहरण
ये सांसारिक कष्टों का सबसे बड़ा कारण ।
ऐसे अधीर तुम सब अगर हो जाओगे
अपने कष्टों का निवारण कैसे तुम कर पाओगे?
बुद्ध के धम्म का असर हुआ।
त्रेता युग में भी न ऐसा हुआ।
रोते बिलखते प्रजा जन को
रात्रि अंधेरे में न उन्हें छोड़ा
अपने ज्ञान से उन्हें प्रकाशित किया ।
बुद्ध ने वैशाली की प्रजाजन से अंतिम विदाई ली
सदा हाथ में लिए भिक्षा पात्र उपहारस्वरूप वैशाली की जनता को दी ।
भिक्षा पात्र प्राप्ति स्थल पर वैशाली गण की जन ने स्तूप बनाकर बुद्ध की शिक्षा के प्रसार का संकल्प किया ।
घोषित निर्वाण की तिथि आई।
पावा के प्रिय शिष्य कुंद ने भगवान को सुक्ति खिलाई।
भगवान बुद्ध बोले मेरे जीवन में दो भोजन सबसे प्यारा- न्यारा
जिसे खाकर मैं हुआ निधान ।
प्रथम सुजाता के हाथो की खीर जिससे ग्रहण कर मुझे मिला बोधिसत्व का ज्ञान ।
दूजा कुंद के हाथो की सुक्ति
जिससे मुझे मिलने को है निर्वाण ।
रात्रि के तीसरे पहर में मैं करूंगा अपने देह का त्याग ।
महाकश्यप के हाथो हीं हों मेरे अंतिम संस्कार।
ये थे अंतिम वचन भगवान बुद्ध के ।
तय पहर में भगवान बुद्ध ने किया अपने प्राण का त्याग ।
उनके अंतिम संस्कार में हुए चमत्कार कुछ ऐसे
मानो बुद्ध भगवान रूप में हीं आए थे जैसे।
भगवान रूप में ही आए थे जैसे ।
लेखन व स्वर :-
अवनीश कुमार
व्याख्याता
प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय विष्णुपुर, बेगूसराय
बिहार शिक्षा सेवा(शोध व अध्यापन उपसम्वर्ग)