पंच चामर
मात्रा – 24
वर्ण — 16
यति – 12,12
अंत – दीर्घ मात्रा
121 212 121 212 121 2
सदैव साहसी बनो , यहाँ पहाड़ सा अड़ो ।
सही विचार को रखो , कभी न आंख में गड़ो ।।
न बैठ हार के कहीं , प्रयास को सदा करो ।
कभी नहीं जरा डरो , सदा सुकर्म ही करो ।।
लिखो नई कहानियाँ , बना नवीन राह को ।
न छोड़ आस को कभी , जगा सदैव चाह को ।।
बना महान आदमी , किया यहाँ सुधर्म जो ।
वही दिया समाज को , किया विशेष कर्म जो ।।
बुझा कभी न आग को , जला इसे सदा रखो ।
बहा खुशी-खुशी लहू , तभी महानता चख़ो ।।
पुकारती रही तुम्हें , हजार बार लक्ष्य है ।
सुनो उसे लगे रहो , यही सदैव सत्य है ।।
सुधीर कुमार , मध्य विद्यालय शीशागाछी
प्रखंड टेढ़ागाछ जिला किशनगंज बिहार ।
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