विद्या:-मनहरण घनाक्षरी
सीताराम-सीताराम,नयनाभिराम राम,
प्रातःकाल नाम लेके,सूर्य को नमन करें।
संसार है आलोकित,सूरज के प्रकाश से,
ऊर्जा का संचार कर,तन का पीड़ा हरे।
रौशन है हर राह,धूंध का निशान नहीं,
सविता का उपकार,जीव-जन्तु न मरे।
कर्मयोगी बन गया,आलस्य बाधा न बना,
जीवन का सार यही,पाप कर्म से डरें।
एस.के.पूनम(स.शि.)फुलवारी शरीफ,पटना।
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