पुस्तक सच्ची मित्र हमारी -मीरा सिंह “मीरा”

Meera Singh

भला बुरा सबको समझाती
हल्का करती हर दुख भारी।
हाथ पकड़कर राह दिखाती
पुस्तक सच्ची मित्र हमारी।।

हर बाधा से हमें बचाती
यह जीने का हुनर सिखाती।
जब गहराता गहन अंधेरा
पुस्तक ज्ञान दीप बन जाती।

उम्मीदों के दीप जलाती
सूझ बूझ भी रहे बढाती।
ऋषि मुनियों की यह थाती
खुशियों से जीवन भर जाती।।

पुस्तक सच्ची मित्र हमारी
तन्हाई में है बतियाती।
बुरी बात ना कभी सिखाती
जीवन सबका है संवारती।।

अक्षय ज्ञान का गुप्त खजाना
मुझे लगे अद्भुत नजराना।
पुस्तक सच्ची मित्र हमारी
मुझे सिखाया हंसना गाना।।

पुस्तक करती बात सयानी
जैसे कोई सखी पुरानी।
इससे मेरा रिश्ता मन का
कभी न बदले अपनी वाणी।।

मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव, जिला-बक्सर,बिहार

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