चल रही गर्म हवा,
पशु पंछी हलकान,
नीड़ में दुबक गए,गगन भी सुनसान।
हिम भी पिघल कर,
उड़ गए वाष्प बन,
नदियाँ भी सूख गईं,जलचर परेशान।
कीचड़ भी सूख कर,
उड़ रहे रेत बन,
बारिश का इंतजार,ताक रहे आसमान।
क्यों हैं रूष्ट दिनकर,
पूछताछ मिलकर,
उग्र रुप देख कर,प्रकृति हुई हैरान।
एस.के.पूनम।
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