प्राची की सुंदर छवि लाली
सबको नित संदेश सुनाती।
जगो-उठो दो-पा खुशहाली
पुरखों से पाई यह थाती।।
रश्मि सूर्य की प्रतिदिन कहती
शीघ्र जगें यदि कुछ है पाना।
धरती चुप रह गर्मी सहती
करो न तुम उफ़! कदम बढ़ाना।।
रूप सलोना अति मन भाए
भानु-तुल्य व्यक्तित्व बनाएँ।
सबको खुशियाँ दे सुख पाए
दीन-हीन का कष्ट मिटाएंँ।।
करें विभाकर! कृपा पुत्र पर
शुभाशीष दें! रोग-शोक हर।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
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