प्रियवर तब रामायण पढ़ना
प्रियवर तुम रामायण पढ़ना
दुःख मन को जब व्याकुल करे
और राह अंधकार चहुँओर दिखे
संबंधों के अनुबंधों में जब
आएँ धुंध काले बादल के
प्रियवर तब रामायण पढ़ना।
प्रियवर तुम रामायण पढ़ना।
पुत्र धर्म समझाने को
पति कर्तव्य निभाने को
भाई का प्रेम बतलाने को
तुम एक बार रामायण पढ़ना
प्रियवर तुम रामायण पढना।
सेवा भाव हनुमान से सीखना,
श्रेष्ठ त्याग लखन से,
राज विराग भरत से सीखना,
अनुराग प्रभु श्री राम
भक्ति भाव केवट-शबरी से,
अवसादों में जब घिरना।
प्रियवर तुम रामायण पढ़ना।।
आए जब-जब बात धर्म की
रावण के संग नहीं तुमको
राम संग होना होगा
कर्त्तव्य पथ पर विघ्न जब आए
रामत्व का मर्म समझना होगा
प्रियवर दुःख व्याकुल करे जब
फिर एक बार रामायण पढ़ना
प्रियवर तुम रामायण पढ़ना।
संजय कुमार
जिला शिक्षा पदाधिकारी
अररिया, बिहार