युवा दिल हो न हो तो भी ,
अलग कुछ काम कर जाऊँ ।
जबतक साँस हो मेरी ,
वतन के नाम कर जाऊँ ।
जो वतन के हो गए नायक ,
मै वैसा काम कर जाऊँ ।
सफलता में न इठलाऊँ ,
असफलता में न भरमाऊं ।
यतन से देश की सेवा ,
इसे दिल मे बसाऊँ मैं ।
यह वतन सिरमौर सबका हो ,
इसे दिल मे सजाऊँ मैं ।
युवा दिल हो न हो तो भी ,
अलग कुछ काम कर जाऊँ
जबतक साँस हो मेरी ,
वतन के नाम कर जाऊँ ।
परिश्रम से न मुख मोडूँ ,
न आलस्य में क्षण गँवाऊँ मैं ।
किसी को जब जरूरत हो ,
उस वक्त काम आऊँ मैं ।
समस्या से न घबराऊँ ,
न अवसर से चुकूँ कभी भी ।
यही है सार इस जीवन का ,
न भूलूँ एक क्षण कभी भी ।
परस्पर प्रेम की गंगा ,
इसे दिल मे बहाऊँ मैं ।
सदा मन हो प्रमुदित मेरा ,
इसे दिल मे बसाऊँ मैं ।
यह जीवन सबका प्यारा हो ,
यह सबके नाम कर जाऊँ ।
जीवन को समर्पित कर ,
वतन के नाम कर जाऊँ ।
युवा दिल हो न हो तो भी ,
अलग कुछ काम कर जाऊँ ।
जबतक साँस हो मेरी ,
वतन के नाम कर जाऊँ ।
रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड – बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर )