बचपन – रूचिका

Ruchika

बचपन

बगीचे में नही जाता बचपन,
बागों की दौड़ नही लगाता बचपन,
मोबाईल की दुनिया में देखो
कैसे अब गुम हो जाता बचपन।

मोहल्ले की गलियाँ शांत पड़ी हैं,
भरी दुपहरिया जैसे वो डरी हैं,
वीडियो गेम में उलझा बचपन,
कंप्यूटर लैपटॉप के लिए अड़ी है।

कबड्डी खो-खो सब भूल रहे हैं
नही पसंद अब धूल रहे हैं,
बस्तों का बोझ भारी होता जाता,
पथ में बिखरे शूल रहे हैं।

चलो मिलकर बचपन को बचाएँ,
धूल-मिट्टी में खेलें और मौज मनाएँ
प्रकृति के बीच जब पले बढ़ें तब
स्वस्थ खुशहाल बचपन पाएँ।

रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय गुठनी सिवान बिहार

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