मुझे समझ नहीं आती सबकी बातें
बस अपनी मर्ज़ी का करता हूं
लाख मुझे कोई क्यूं ना समझाए
मगर ज़िद पर अपनी अडिग रहता हूं
सब कहते ये मत कर वो मत कर
स्थिर होकर उन सबकी मैं सुनता हूं
फिर दबे पांव नज़रों से ओझल होकर
जो चाहता वो मैं करता हूं
हर शाम दोस्तों की झुंड बनाकर
सबके संग छुपन-छुपाई खेलता हूं
वक्त पर घर ना पहुंचने पर
मां से खूब पिटाई मैं खाता हूं
परीक्षा में नंबर कम आने पर
पापा से डांट बहुत मैं सुनता हूं
फिर मां के आँचल में छुपकर
प्रश्न पत्र को दोषी ठहराता हूं
मुझे नटखट, बदमाश कह लो पर
हूं मैं भोला-भाला सबको आज बताता हूं
नहीं रहती दिल में कोई शैतानी
बस खुलकर बचपन जीना चाहता हूं
–Ayushi
Middle School, Chowabag, Munger
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Bahut hee sundar rachna… 🙏👌
Bahut hee sundar rachna 🙏👌👌
Superb lines…. Keep it up👍