जब भी दीवाली आता,
बच्चों को बहुत भाता,
भाग दौड़ कर निज, घरों को सजाते हैं।
साफ कर घर-वार
रंगाई – पुताई करें,
मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाते हैं।
पटाखे खरीद कर,
करते वो हुड़दंग,
कभी अभिभावक को वाट भी लगाते हैं।
प्रेम – भाईचारा और
सौहार्द सीखाते कभी,
घर आए अतिथि से उपहार पाते हैं।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
0 Likes