धरती की तू पताल रस से,
विद्या का रसपान किया।
बादल- बरसे और बिजली, चमकी फिर दरिया भी तूफान किया।।
कश्तियां बनकर डटे रहे,
सागर के मंजधार में ।
साहिल बेचारा लड़खड़ा रहे,
तेरी लगन देख चतुराई का।।
धारा बनके आगे चले,
जैसे तीर कमानों का ।।
तेरा निशाना शूरवीर जैसा,
तीनों लोकों में दुहाई हो।
आपकोबहुत-बहुत बधाई हो।
मोह ममता से दूर होकर,
वैराग्य बन संघर्ष किए।
समाज का आईना बने,
युवा पीढ़ी को आवाज दिए।
“उठो जागो संघर्ष करो”
हुनर तुम्हें पुकारती है।
राह कठिन है पर आगे बढ़ो,
मंजिल तुम्हें बुलाती है ।।
तेरा पहचान हो लाखों में,
सब वादियों में तेरी दुहाई हो।
आपको बहुत-बहुत बधाई हो।।
जयकृष्णा पासवान स०शिक्षक उच्च विद्यालय बभनगामा,बाराहाट,बांका
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