देखो मौसम यह कैसा आया है,
सर्द हवा संग लाया है।
प्रकृति के अनमोल पलों में,
जीवन का राग सुनाया है।
बहती शीतल मंद बयार,
होते सभी को धूप से प्यार।
दिन में धूप कम मिलती है,
शाम में ठंड अधिक बढ़ती है।
रातें बड़ी औ दिन छोटे होते,
अपनी पढ़ाई हम कभी न खोते।
प्रकृति का अनुपम वरदान,
रवि फसलों में लाती है जान।
सबको भाते गर्म नरम कपड़े,
नहीं कोई पड़ते इसमें लफड़े।
सबको चाहिए स्वेटर, कोट, रजाई,
भोजन गर्म संग दूध मलाई।
शरीर पोषण का यह समय सुहाना,
मौसम यह पोषण का खजाना।
मन करता कभी निकलूँ न घर से,
ठंड के कारण कहीं जाऊँ न डर से।
पर आलस छोड़ बनना सुजान,
हमें काम पर नित रखना ध्यान।
हम सबके अपने सपने प्यारे,
अब नहीं कहीं दुविधा के मारे।
हम सब पढ़ने को जाएँ स्कूल,
नहीं पढ़ने की कभी करें न भूल।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर