बायस्कोप (चित्रदर्शी)
यह बचपन है मेरा तेरा,कह लो अब है बदला एरा
अपने थे हुए पराए अब,बस रह गई यही निशानी है।
यह सच्ची भली कहानी है।।
हम सारे जब बच्चे होते,सारे विचार कच्चे होते,
यह जादू बाॅक्स लिए दिखते,तब चीज लगे मस्तानी है।
यह सच्ची भली कहानी है।।
अब बच्चे देते नहीं मान,हम सब देते थे जान प्राण,
हम जुड़कर बीती बातों से,हम पाते नयी रवानी है।
यह सच्ची भली कहानी है।।
मरुभू की यह हरियाली थी,यह मदभरी रस की प्याली थी,
दिन-रात रहे थे नशा लिए,यह लंबी बात पुरानी है।
यह सच्ची भली कहानी है।।
हर चीज नया होने को था,कुछ रहता तब!खोने को था,
वह जड़ है तन अभी दिखता,चित्रदर्शी की कहानी है।
यह सच्ची भली कहानी है।।
मधु-चित्र सभी हैं बंद यहाॅं,अद्भुत चीजें हैं चंद यहाॅं,
जो एक बार देखा इसको,कह उठा गजब दीवानी है।
यह सच्ची भली कहानी है।।
मम संग-संग यह जन्म लिया,हर द्रष्टा को यह दंग किया,
चित्रों में ऐसा लिपट गया, जैसे लिपटी मधुरानी है।
यह सच्ची भली कहानी है।।
जो आया है वह जाएगा,कल को कल आकर खाएगा,
आया है युग मोबाइल का,अभी लिए नई जवानी है।
यह सच्ची भली कहानी है।।
रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारी प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय दरवेभदौर प्रखंड पंडारक पटना बिहार
