जो बीत रहा है समय अभी,
वह लौटकर कभी न आएगा।
सदियों वर्ष यों ही बीत गए,
अब २०२४ भी बीत जाएगा।
समय नहीं कभी बैठा रहता,
यों ही पल-पल बीत जाता है।
जो पल अभी है बीत गया,
दुहराकर कभी न आता है।।
कितने खोते रहे हैं हर वर्ष,
देश दुनिया की हम रत्नें।
इस वर्ष भी खोए अनेक,
उन सबकी याद रहेगी यत्नें।।
पूर्व पी. एम. मनमोहन जी को खोया,
खोए और कई सितारे भी।
रत्नों में रतन टाटा को खोया हमने,
खो गईं शारदा गायिका बीच हमारे भी।
न रहे पूर्व आई. पी. एस. अधिकारी,
जो परम हनु भक्त अति प्यारे थे।
और न रहे गजलों के दिग्गज ही,
वो पंकज उधास सितारे थे।।
राम लला की भव्य मूर्ति विराजे,
यह जन -जन की वाणी थी।
भारत में सदियों से यह तो,
बड़ी अलख भरी कुर्बानी थी।
बीते पल की याद जब आती,
सजल नयन जल धार बहे।
खट्टे मीठे की याद सदा,
यह हर मन की बीती बात कहे।।
पल- पल बीत रहा वर्ष २०२४
और बीतेगा आनेवाला कल भी।
प्रकृति का यह चक्र निरंतर,
लायेंगे सुनहरे कल के पल भी।।
हम सब भी बीतेंगे एक दिन,
शेष रह जायेंगी यादें।
नए संदेशे नए प्रेम में,
कहीं भूल न जायें वादें।।
प्रकृति की यह महती जिम्मेवारी,
एक के जाने पर दूजा आए।
नये वर्ष के नवोन्मेष में,
सब घर खुशियों से भर जाए।।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड-बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर