बेचारा मजदूर दिनभर करता मजदूरी
परिवार से रहता दूर,
बेचारा मजदूर।
कभी खेत में काम है करता
कभी सड़कों पर धूप को सहता,
जाड़ा गर्मी और बरसात को
सहता है भरपूर,
बेचारा मजदूर।
कभी गाँव में कभी शहरों में
कभी झोपड़ी कभी महलों में,
कम पैसों में काम है करता
करता है जरुर,
बेचारा मजदूर।
इनकी नहीं धनवान है सुनता
न कोई ज्ञानवान है सुनता ,
न इनकी सरकार है सुनती
इसलिए इनको अपने आप पर है गुरुर ,
बेचारा मजदूर।
रहते हैं परिवार से दूर
पैसों के लिए ये मजबूर,
सरल नेक इंसान ये होते
इनका हृदय नहीं कभी क्रूर,
बेचारा मजदूर।
बड़े लोगों की लोग मदद हैं करते
छोटे को देखकर मुँह फेर लेते,
मजदूर की बस सुनते हैं ईश्वर
और करते रहते दुःख दूर,
बेचारा मजदूर।
बहुत मेहनत कर अन्न उपजाते
कम दामों में बेच कर आते,
बिना मेहनत के लोग इनसे खरीदकर
खाकर करते अपनी भूख को दूर,
बेचारा मजदूर।
अन्न खाकर चैन की नींद है सोता
बड़ा आदमी हो या छोटा,
यदि मजदूर अन्न न उपजाते
क्या खाते हम मिट्टी, धूल,
बेचारा मजदूर।
भगवान का दूसरा रूप किसान
करना सभी इनका सम्मान,
ये हैं तो है हमारी जान
ये जान लो भाई जरुर,
बेचारा मजदूर।
आज है मजदूर दिवस
मजदूर भाई हैं जब के तस,
हम-सब मिलकर खुशी से मनाएँगे
मजदूर दिवस जरुर,
बेचारा मजदूर।
नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।