बेटी की विदाई – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra Prasad Ravi

चहुंँओर खुशी छाई,बज रही शहनाई,
परिजन नाच रहे, खुशी का है अवसर।

विवाह के बाद जब, विदाई की आई घड़ी,
सखियों के आँसू गिरे,अंँखियों से झर-झर।

पूछ रही रोती-रोती, बेटी क्यों पराई होती,
बहनों से मिलती है, गले से लिपट कर।

सबसे नज़र बचा,’रवि’ रोए भाई -पिता,
कलेजे के टुकड़े यूँ ,चल दी क्यों छोड़ कर।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

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