हिन्दी के बिन्दी को मस्तक पर
नित सजा चमकाएँगे,
सर आँखों पे बिठाएँगे।
यह भारत माँ का, गहना है।
हिन्दी मेरा ईमान है,
हिन्दी मेरी पहचान है।।
हिन्दी हूँ मैं वतन भी मेरा,
प्यारा हिन्दुस्तान है।।
बढ़े चलो, हिन्दी की डगर,
हो अकेले फिर भी मगर।
मार्ग की काँटे भी देखना,
फूल बन जाएँगे पथ पर।।
हिन्दी से हिन्दुस्तान है,
तभी तो यह देश महान है।
निज भाषा की उन्नति के लिए
अपना सब कुछ कुर्बान है।
एक दिन ऐसा भी आएगा,
हिन्दी परचम लहराएगा।
इस राष्ट्र भाषा का हर ज्ञाता,
भारतवासी कहलाएगा।
निज भाषा का ज्ञान ही,
उन्नति का आधार है।
बिना निज भाषा ज्ञान के,
नहीं होता सदव्यवहार है।
आओ हम हिन्दी अपनाएँ,
गैरों को परिचय कराएँ।
हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है,
यही बात सबको समझाएँ।।
हिन्दी ही हिन्द का नारा है।
प्रवाहित हिन्दी धारा है।
हम हिन्दी ही अपनाएँगे,
इसको ऊँचा ले जाएँगे।
हिन्दी भारत की भाषा है।
हम दुनियाँ को दिखलाएँगे।।
प्रेषक -हर्ष नारायण दास
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय घीवहा, फारबिसगंज।
जिला- अररिया