भावना बालमन की -अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

दादी हैं खुशियों के खजाने ,
दूध , मलाई   देती  हैं।
हम हैं  उनके  पोता, पोती,
हमें गोदी में उठा लेती  हैं।

मम्मी का जब गुस्सा आता,
दादी  ही  हमें  बचाती  है।
उनके जैसा और  कोई कहाँ,
पढ़ने को भी नित सिखलाती हैं।

पापा जब भी हमें डाँट लगाते ,
दादी  उन्हें   समझाती  हैं।
उनका  कहना   सब  हैं  मानते,
वे सबको अच्छी राह दिखलाती हैं।

उनसे हम सब जिद्द जब करते ,
वे  कहानी  भी   सुनाती  हैं।
कभी चाँद कभी सूरज की बातें ,
बड़े प्यार से हम सबको बतलाती हैं।

पृथ्वी  भी  एक  ग्रह  है ,
यह  दादी   ने हमें बतलाया  है।
और भी अंतरिक्ष में ग्रह, तारे हैं,
यह  दादी  ने  ही  समझाया  है।

पृथ्वी, सूर्य के चारों  ओर  चक्कर,
वर्ष   में   एक   बार  लगाती   है।
इसमें  तीन  सौ  पैंसठ  दिन लगते,
यही  एक  वर्ष   बन   जाती  है।

पृथ्वी   भी   चौबीस   घंटे   में ,
अपने अक्ष पर एक बार घूम जाती है।
दादी  समझाती   इसी   बात   को,
यही  एक  दिन-रात  बन  जाती है।

उनके  सब   बातों  के कहने  के,
अंदाज    निराले    होते     हैं।
वे   बातें    करतीं   बड़े   प्रेम  से,
हर   दिल  में  उजाले   होते   हैं।

वे   हम   सबसे   प्यार    हैं  करतीं,
जिंदगी के अनमोल किस्से भी सुनाती हैं।
भविष्य     में    नित    आगे   बढ़ने   की,
सदा   गुर   भी   हमें    सिखलाती  हैं।

ऐसी    प्यारी    दादी  का  नित  दिन ,
हम  सब  मिलकर   गुणगान  करें।
उनकी कृपा से ही बहुत कुछ सीखते ,
हम सब उनके  पूरे  अरमान  करें।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा जिला- मुज़फ्फरपुर

1 Likes
Spread the love

Leave a Reply