भाषाः हमारी अस्मिता – Akata Kumari

हिंदी : हमारी अस्मिता की पहचान 

हिंदी संस्कृत कि आत्मजा,

 महावीर प्रसाद द्विवेदी और 

भारतेंदु हरिश्चंद्र के कलम की शान है।

हिंदी हिंदुस्तानियों के रगों में दौडता  लहू  है।

हिंदी हमारी  पहचान हीं  नहीं ‌‌,

नवजात शिशुओं को कराने वाला अमृत पान है।

 हिंदी हमारी शान है।

 हिंदुस्तानियों का गौरव गान है।

हिंदी हमारी अस्मिता,

हमारे माथे का विजय तिलक है।

 हिंदी एशिया महादेश का  बाहुबल,

 अफ्रीका,कैरेबियन,ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड 

और संयुक्त अरब अमीरात का ज्ञान है।

 हिंदी  52वर्णों का  सुन्दर साज है।

 कभी पूरा,कभी आधा,कभी रेफ  है,कभी पदेन,

कभी चंद्रबिंदु,कभी अनुस्वार , कभी :  है।

 हिंदी सरगम का सुर ,  तबले का ताल,

बाँसुरी की मनमोहक धुन है।

हिंदी  संस्कृत की आत्मजा,

महावीर प्रसाद द्विवेदी और

भारतेन्दु हरिश्चंद्र  के कलम की शान है।

हिंदी हिंदुस्तानीयों का गौरव -गान है।

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