मंजिल तुझे पुकारे – दिग्पाल छंद बाल गीत
बच्चों कभी न रोना, हिम्मत कभी न खोना।
मंजिल तुझे पुकारे, थककर कभी न सोना।।
यह फर्ज है तुम्हारा, करके सदा दिखाओ।
कोई नहीं कहेगा, अच्छा हमें सुनाओ ।।
आसान राह सारे, समझो नहीं खिलोना।
मंजिल तुझे पुकारे, थककर कभी न सोना।।०१।।
जलना तुझे पड़ेगा, दीपक अगर बनोगे।
कुंदन मगर बनोगे, जो ताप को सहोगे।।
गलहार जो बनोगे, बन फूल है पिरोना।
मंजिल तुझे पुकारे, थककर कभी न सोना।।०२।।
दुनिया चलो दिखाएँ, सच आज हम बताएँ।
पाते नहीं कभी भी, बैठे सभी दिशाएँ।।
पुरुषार्थ है सहारा, जादू नहीं न टोना।
मंजिल तुझे पुकारे, थककर कभी न सोना।।०३।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
सियारामपुर, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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