विषय:- मतदान
जलहरण घनाक्षरी छंद
चुनावी त्यौहार आया,
वादों की बहार लाया,
लगाते हैं नारे सभी, नए-नए गढ़कर।
भीड़ होती रैलियों में,
शोर होता गलियों में,
झुंड में प्रचार करें, घोड़ा गाड़ी चढ़कर।
‘रवि’ सबकी सुनना,
सोच समझ चुनना,
दुविधा में ना पड़ना, घोषणाएं पढ़ कर।
किसी की ना कहा मान,
देश की भलाई जान,
उसी को ही “मत” दें जो, सबसे हो बढ़कर।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
0 Likes