विछोह की पीड़ा सहे,
नयन तो भींग रहे,
हृदय संतप्त कर,संग छोड़ आए थे।
तप्त धरा पग बिंध,
सजल अँखियाँ सिंधु
सखा को संदेश भेज,मन भाव गाए थे।
आँखियों में नींद कहाँ,
मनसा है मीत जहाँ,
छवि की माया में घिर,भोलेपन भाए थे।
पानी न परात हाथ,
छुये बिना कुशलात,
स्नेही करें मनुहार,प्रीत भर लाए हैं।
एस.के.पूनम(स.शि.)फुलवारी शरीफ,पटना।
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