🙏कृष्णाय नमः🙏
विधा:-मनहरण घनाक्षरी
पूनम की निशा काल,
स्वर्णिम है मेरा हाल,
रवि दिखा प्राची दिशा,चमकता माथ है।
पक्षी करे कलरव,
आलस्य को त्याग कर,
स्नान,ध्यान नित्य कर्म,सदैव से साथ है।
कंटकों से भरी राह,
चुभन की पीड़ा सह,
मंजिल की तलाश में,उद्यम का हाथ है।
ईश्वर की लीला जान,
अपने को पहचान,
हृदय में उदात्त भाव,देने वाले नाथ हैं।
एस.के.पूनम।
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