मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

बादल से जल मिले, भोजन से बल मिले,
कभी कहीं तेल बिना,
दीप नहीं जलता।

काल पा के बड़ा होता, समय से खड़ा होता,
बसंत के आने पर,
वृक्ष भी है फलता।

पढ़ाई के समय में, छात्र जो आलस करे,
उम्र बीत जाने पर,
बैठ हाथ मलता।

अपनों को प्यार करें, सदा एतवार करें,
सूखे हुए बीज से हीं,
अंकुर निकलता।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply