मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक

वीणा रखती हाथ में,
सुर संगीत साथ में,
जीवन में आनंद हो,
भाव रस पीजिए।

मॉं तेरी हंस सवारी,
लगती कितनी न्यारी,
धवल हो मन मेरा,
शंका हर लीजिए।

कर में पुस्तक तेरी,
हर लो अज्ञान मेरी,
ज्ञान का भण्डार भर,
कृपा अब कीजिए।

तुझसे विनती करूॅं,
चरणों में शीश धरूॅं,
तू ममता की खान मॉं,
शरण दे दीजिए।

राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज, पटना

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