मन की जहर को अमृत बनाना

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कविता:-
मन की जहर को अमृत बनाना
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मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना l
मेरे कोमल मन में कोई जहर न तुम  भरना l
मानव धर्म ही श्रेष्ठ है यह सब को बताना l
परोपकार,सेवा, इंसानियत का झंडा तुम लहराना
उन्नति के पथ पर चलने वाले ए मेरे नन्हे सिपाही, देश हित में सदा तुम तत्पर रहना l
भारत देश का नाम  बढ़ाना l
हिंदू, मुस्लिम,सिख, इसाई हम  सब है भाई भाई l
होली, दिवाली, गुरुपर्व, ईद और क्रिसमस आओ मिलकर सब त्यौहार मनाए l
मजहब से भी ऊपर उठकर मानव सेवा का एक  मीनार  बनाए l

प्रदीप कुमार भट्टाचार्य l❤❤

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प्रदीप कुमार भट्टाचार्य

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