जननी जगत त्राता
ममतामई हैं माता,
पूजन भजन कर, पाते हैं आशीष लोग।
शरण में जो भी आता
मन चाहा वर पाता,
जगदंबा की कृपा से मिट जाता भव रोग।।
नारियल केला चढ़े,
मेवा व मिष्ठान कभी,
खीर-पूरी-हलवा का लगता है उन्हें भोग।
माता हमें फल देती
भावना के अनुरूप,
कुमारी पूजा का हमें, मिले दुर्लभ संयोग।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
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