ममता की मूर्ति
मनहरण घनाक्षरी छंद में
पालन पोषण हेतु,
खुद कष्ट सहती है,
ममता की प्रतिमूर्ति, भारतीय नारी है।
बच्चों को भी पालती हैं,
गृहस्थी संभालती हैं,
चौका-चूल्हा करने की, लेती जिम्मेदारी है।
दुनिया की जननी है,
पत्नी बेटी भगिनी है,
ऋषि-मुनि ब्रह्मांड की, पूज्य महतारी है।
वेदना पीड़ा को सह,
संतानों को जन्म देती,
मांँ का रोम-रोम ऋणी, जिंदगी हमारी है।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
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