हमहु स्कूल जैबय- कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

Kumkum

हमहु स्कूल जैबय (अंगिका कविता)

बस्ता लेके हमहु मैय्या
स्कूल पढ़े जैबय।
पढ़-लिखकर हमहु
बड़ो आदमी बन जैबय।।

बड़ो आदमी बनी के मैय्या
खूब पैसा कमैबय।
और तोरा लय मैय्या
बढ़िया साड़ी लैबय।।

हमहु जैबय पढ़े बाबू
पढ़-लिखकर जब ऐबैय।
तोरा लिहे बाबू हम
चकाचक फटफटिया लैबय।।

पढ़-लिख जैबय जब हम
खूब पैसा कमैबय।
दादा-दादी कय हम
तीरथ पर लय जैबय।।

भैया साथे हमहु बाबु
स्कूल पढ़े जैबय।
पढ़-लिखकर हमहु
मास्टरनी बन जैबय।।

मास्टरनी बन कर हमहु
बुतरू कय पढ़ैबय।
पढ़ाय लिखकर ओकरा
सुंदर हम बनैबय।।

     कुमकुम कुमारी "काव्याकृति"
                शिक्षिका
   मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर
0 Likes
Spread the love

Leave a Reply