मानव जीवन से नित आस यही ,
मिटे भ्रम , भय , कुशिक्षा ।
सुसंस्कार समाहित हो जग में ,
हो जन -जन की यह प्रबल इच्छा ।
जन-जन में सद्भाव शिखर ,
जन-जन में हो प्रीति प्रखर ।
हर मन से द्वेष विनाश करें ,
हर मन से पाप का नाश करें ।
कहीं कर्म छोड़ न नाता हो ,
इसमें कोई और न बाधा हो ।
जीवन दुःखों को हरनेवाला हो ,
न अन्याय से डरनेवाला हो ।
सब अपना लक्ष्य संधान करें ।
परपीड़ा का भी भान करें ।
यह जीवन लघु कर्त्तव्य विशाल ,
इसका नित ही ध्यान करें ।
रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर )
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