मित्रता रूपी कमल हैं खिलते
मित्रता की भी अलग जुबानी ,
बोले समयानुसार कटु मृदु बानी।
कटु बानी भी मित्र के भले के होते ,
इससे मित्र कभी सही दिशा न खोते ।
जो कटु बात सबके समक्ष बोले ,
वैसे मित्र को कभी अपना नहीं तोलें ।
जो सही बात को सदैव बताए ,
जो झूठ , लोभ में कभी न आए ।
करे हमेशा अपने मित्र की चिंता ,
न कहीं कभी करे दूजे संग निंदा ।
समयानुसार सही राह बताए ,
हमेशा प्रीति परस्पर अक्षुण्ण बनाए ।
परिस्थिति मित्र का जैसा होए ,
कभी सच्चा मित्र उसका संग न खोए ।
सदा कथनी करनी एक सा होए ,
न कहीं मित्र के अवगुण बोए ।
सदा गुण अवगुण सच्चा मित्र बताए ,
उसके सुअवसर की नित पहचान कराए ।
सच्चे मित्र का यह भाव है रहता ,
उसके सुख दुःख में वह संग है बहता ।
सच्चे मित्र का संग सदा सुख देते ,
दुःख और चिंता को हर लेते ।
है मानव जीवन धन्य इसी से ,
सबकी मित्रता न होती हर एक किसी से ।
संगति के पीछे उनके गुण भी मिलते ,
तभी मित्रता रूपी कमल हैं खिलते ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
