मेरी हिंदी तू मेरे मौन को आवाज़ देती है। – रीतु वाजपेयी

तू मेरी मौन पीड़ा में, मेरी आवाज़ बनती है,

पोंछकर अश्रु, सरल शब्दों से दुलार करती है।

 

तेरे अस्तित्व में मेरी लेखनी, विहार करती है,

गूढ़ अर्थों से तू कविता मेरी,साकार करती है।

 

अनगिनत भाव मन के , गीत में समेट देती है,

मेरी गीतों की नौका, इस तरह तू पार करती है। 

 

बिना रंग ही…., मुझे पन्नों पे तू उकेर देती है,

मेरी हिंदी! तू कविताकार को आकार देती है।

 

शीर्ष पर तू हर रचनाकार से,सम्मान पाती है,

मेरी हिंदी!  तू हिंदुस्तान को झंकार देती है।

 

तू मेरी मौन पीड़ा को करुण आवाज़ देती है,

मेरी हिन्दी! तू मेरे मौन को आवाज़ देती है।

 

….✍️🙏 ऋतु बाजपेई 

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